मीठ बोली हे मैना कस,भाखा छत्तीसगढ़ी।
बने बने गोठियालौ संगी,सबके मन बढ़ही।।
हो हो हो……..
सुआ अउ ददरिया के, गुरतुर मिठास हे।
कोयली बोले मैना अउ,पड़की के आस हे।।
जरन दे जरइया ला,ओखर छाती जरही।
मीठ बोली हे मैना कस…….हो हो हो….
करमा में झूमय सबो, बने माढ़े ताल हा।
पागा में कलगी खोंचे,थिरकतहे चाल हा।।
झमाझम मांदर बाजे,संगे संग मा झुलही।
मीठ बोली हे मैना कस…….हो हो हो….
छत्तीसगढ़िया मोर तैं,भाई हस किसान गा।
सुख दुःख के संगी मोर,हितवा मितान गा।।
जाँगर के पेरइया संग, कोन इहाँ लड़ही।
मीठ बोली हे मैना कस……हो हो हो….
बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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गजब गीत बोधन निषाद जी
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